Israel-Iran इज़राइल-ईरान टकराव से दहला ग्लोबल मार्केट: शेयर बाजार लुढ़का, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

Israel vs Iran इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है और कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। जानिए इस तनाव का भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है।

Jun 14, 2025 - 17:12
Jun 14, 2025 - 17:21
Israel-Iran  इज़राइल-ईरान टकराव से दहला ग्लोबल मार्केट: शेयर बाजार लुढ़का, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
Israel-Iran conflict market crash oil price hike 2025

Israel vs Iran भूमिका: वैश्विक तनाव के बीच मंडरा रही आर्थिक अनिश्चितता: इज़राइल और ईरान के बीच जारी सैन्य टकराव ने न केवल पश्चिम एशिया बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। इस संघर्ष की वजह से शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल देखने को मिला है। इन घटनाओं का असर अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से लेकर एशियाई बाजारों और भारतीय अर्थव्यवस्था तक महसूस किया जा रहा है।

इज़राइल-ईरान तनाव की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ हफ्तों से इज़राइल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में ईरान द्वारा इज़राइल के खिलाफ ड्रोन और मिसाइल हमले की खबरें आई थीं, जिसके जवाब में इज़राइल ने भी सैन्य कार्रवाई की। यह पहली बार नहीं है जब इन दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बने हों, लेकिन इस बार की स्थिति अधिक गंभीर मानी जा रही है क्योंकि इसका प्रभाव अब सीधा वैश्विक बाजारों पर दिख रहा है।

ग्लोबल शेयर मार्केट में गिरावट

1. अमेरिकी बाजार पर असर

  • Dow Jones Industrial Average में 600 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

  • NASDAQ और S&P 500 दोनों में लगभग 2% तक की गिरावट देखी गई।

  • निवेशकों ने रिस्क से बचने के लिए गोल्ड और बॉन्ड्स की ओर रुख किया।

2. एशियाई बाजारों में भी कमजोरी

  • जापान का Nikkei 225 लगभग 1.8% गिरा।

  • हांगकांग का Hang Seng Index 2.3% तक फिसल गया।

  • भारतीय बाजार (Sensex और Nifty) में शुरुआती कारोबार में 1.5% की गिरावट देखी गई।

3. भारतीय निवेशकों पर प्रभाव

  • विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी शुरू की गई है।

  • रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, जिससे आयात महंगा हो सकता है।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

1. ब्रेंट क्रूड में तेजी

  • ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 6% तक उछलकर 92 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गईं।

  • यह पिछले 6 महीनों की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त मानी जा रही है।

2. भारत पर क्या असर पड़ेगा?

  • भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। ऐसे में तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत के चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) और महंगाई दर (Inflation) पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

  • पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।

3. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसियों की चेतावनी

  • IEA (International Energy Agency) और OPEC ने चेतावनी दी है कि यदि यह तनाव लंबा खिंचता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती हैं।

सोने और अन्य सेफ हेवन एसेट्स में निवेश बढ़ा

  • सोने की कीमतें 3% तक बढ़ीं और यह 2,400 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंच गईं।

  • अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स की डिमांड बढ़ गई है।

  • बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में भी अस्थिरता देखी जा रही है।

आर्थिक विशेषज्ञों की राय

1. क्या यह संकट वैश्विक मंदी की ओर इशारा कर रहा है?

भारतीय अर्थशास्त्री डॉ. विवेक सिंह के अनुसार, “यदि यह सैन्य संघर्ष कुछ हफ्तों तक और चलता है, तो इसका असर सिर्फ बाज़ारों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सप्लाई चेन, व्यापार, और वैश्विक मांग पर भी पड़ेगा।”

2. निवेशकों को क्या करना चाहिए?

वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि अभी रिस्क वाले एसेट्स में निवेश करने से बचना चाहिए। लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को पोर्टफोलियो में गोल्ड और अन्य स्थिर निवेश विकल्प शामिल करने की सलाह दी जा रही है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

  • भारत सरकार ने स्थिति पर नज़र रखने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की है।

  • पेट्रोलियम मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि देश के पास पर्याप्त कच्चा तेल रिज़र्व है और सप्लाई बाधित नहीं होगी।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कहा है कि मुद्रा बाज़ारों में हस्तक्षेप किया जाएगा, ताकि रुपया अधिक गिरावट से बचे।

आगे की राह: ग्लोबल मार्केट्स को क्या उम्मीद?

1. राजनयिक हल की आशा

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। यदि बातचीत के ज़रिए तनाव कम होता है, तो बाज़ारों में स्थिरता लौट सकती है।

2. निवेशकों को अलर्ट रहने की ज़रूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के भू-राजनीतिक जोखिम आगे भी रह सकते हैं, इसलिए अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के लिए निवेशकों को तैयार रहना चाहिए।

निष्कर्ष

इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव न केवल एक सैन्य मुद्दा है, बल्कि इसका असर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ी और शेयर बाजारों में गिरावट इस बात का प्रमाण है कि भू-राजनीतिक संकट आर्थिक स्थिरता को कितनी जल्दी प्रभावित कर सकते हैं। जब तक इस संकट का समाधान नहीं निकलता, तब तक वैश्विक बाज़ारों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।